आज तक इतिहास में इनसे ज्यादा त्याग किसी ने नहीं किया…
भारतीय इतिहास और पुराकथाओं के ऐसे महान् दानवीर है, जिन्होने दान की परिभाषा को ही बदल कर रख दिया, लोग धन का दान करते है लेकिन इन महापुरुषो ने तो अपना सब कुछ ही दान कर दिया, यहाँ तक की अपना जीवन भी लोकहित को समर्पित कर दिया, आइए जानते है इनके बारे में:

बलिराजा बलि बड़े दानवीर और वचन के पक्के थे, जब भगवान विष्णु ने वामन रुप धरा और वामन रुप धरकर उनसे सब कुछ दान में मांग लिया तो राजा बलि ने बिना कुछ सोचे समझे अपना सब कुछ दान में दे दिया और पाताल लोक में रहना स्वीकार किया।
1. राजा बलि

बलिराजा बलि बड़े दानवीर और वचन के पक्के थे, जब भगवान विष्णु ने वामन रुप धरा और वामन रुप धरकर उनसे सब कुछ दान में मांग लिया तो राजा बलि ने बिना कुछ सोचे समझे अपना सब कुछ दान में दे दिया और पाताल लोक में रहना स्वीकार किया।
2. विक्रमादित्य
3. भामाशाह

भामाशाह चितौड़ के बड़े धनपति थे, उनके पास अपार धन सम्पदा थी, मुगलों के आक्रमण के बाद उन्होने चितौडगढ़ का त्याग कर दिया था, कई वर्षो तक मुगलों से अपनी धन संप्पति को छुपाये रखा, क्योंकि उन्हे पता था की राणा को धन की आवश्यकता है, जब भामाशाह को राणा के बारे मे पता चला तो वे तुरंत अपना सब कुछ ले कर राणा के पास पहुंच गये और अपना सब कुछ राणा को दे दिया, यह राशि इतनी बढ़ी थी की इससे 5000 सैनिकों को 12 वर्षो तक वेतन दिया जा सकता था।

भामाशाह चितौड़ के बड़े धनपति थे, उनके पास अपार धन सम्पदा थी, मुगलों के आक्रमण के बाद उन्होने चितौडगढ़ का त्याग कर दिया था, कई वर्षो तक मुगलों से अपनी धन संप्पति को छुपाये रखा, क्योंकि उन्हे पता था की राणा को धन की आवश्यकता है, जब भामाशाह को राणा के बारे मे पता चला तो वे तुरंत अपना सब कुछ ले कर राणा के पास पहुंच गये और अपना सब कुछ राणा को दे दिया, यह राशि इतनी बढ़ी थी की इससे 5000 सैनिकों को 12 वर्षो तक वेतन दिया जा सकता था।
4. गौतम बुद्ध
सिद्धार्थ विवाहोपरांत नवजात शिशु राहुल और पत्नी यशोधरा को त्यागकर संसार को जरा, मरण और दुखों से मुक्ति दिलाने के मार्ग की तलाश में रात में राजपाठ छोड़कर जंगल चले गए थे।
5. भर्तहरि
6. कर्ण
7. महावीर
8. राजा हरिश्चंद्र
9. राजा शिवी
10. महर्षि दधीचि
11. बर्बरिक

महाभारत के युद्घ में ब्राह्मण वेषधारी श्री कृष्ण ने भीम के पौत्र और घटोत्कच के पुत्र बर्बरीक से दान की इच्छा प्रकट की, बर्बरीक ने दान देने का वचन दिया तब श्री कृष्ण ने बर्बरीक से उसका सिर मांग लिय, सच जानने के बाद भी बर्बरीक ने सिर देना स्वीकार कर लिया लेकिन, एक शर्त रखी कि, वह उनके विराट रूप को देखना चाहता है तथा महाभारत युद्घ को शुरू से लेकर अंत तक देखने की इच्छा रखता है।

महाभारत के युद्घ में ब्राह्मण वेषधारी श्री कृष्ण ने भीम के पौत्र और घटोत्कच के पुत्र बर्बरीक से दान की इच्छा प्रकट की, बर्बरीक ने दान देने का वचन दिया तब श्री कृष्ण ने बर्बरीक से उसका सिर मांग लिय, सच जानने के बाद भी बर्बरीक ने सिर देना स्वीकार कर लिया लेकिन, एक शर्त रखी कि, वह उनके विराट रूप को देखना चाहता है तथा महाभारत युद्घ को शुरू से लेकर अंत तक देखने की इच्छा रखता है।
12. एकलव्य

द्रोणाचार्य नहीं चाहते थे कि कोई अर्जुन से बड़ा धनुर्धारी बन पाये, वे एकलव्य से बोले यदि मैं तुम्हारा गुरु हूँ तो तुम्हें मुझको गुरुदक्षिणा देनी होगी, एकलव्य बोला, गुरुदेव गुरुदक्षिणा के रूप में आप जो भी माँगेंगे मैं देने के लिये तैयार हूँ, इस पर द्रोणाचार्य ने एकलव्य से गुरुदक्षिणा के रूप में उसके दाहिने हाथ के अँगूठे की माँग की, एकलव्य ने सहर्ष अपना अँगूठा दे दिया।

द्रोणाचार्य नहीं चाहते थे कि कोई अर्जुन से बड़ा धनुर्धारी बन पाये, वे एकलव्य से बोले यदि मैं तुम्हारा गुरु हूँ तो तुम्हें मुझको गुरुदक्षिणा देनी होगी, एकलव्य बोला, गुरुदेव गुरुदक्षिणा के रूप में आप जो भी माँगेंगे मैं देने के लिये तैयार हूँ, इस पर द्रोणाचार्य ने एकलव्य से गुरुदक्षिणा के रूप में उसके दाहिने हाथ के अँगूठे की माँग की, एकलव्य ने सहर्ष अपना अँगूठा दे दिया।
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